वैदिककॉल में गाय और कृषि में किसका स्थान उच्च था
वैदिक काल में गाय की महत्ता और कृषि का स्थान प्रस्तावना वैदिक काल (लगभग 1500 से 500 ईसा पूर्व) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का विकास हुआ। इस काल में गाय को विशेष महत्व दिया गया, जो न केवल एक आर्थिक संसाधन थी, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इसके साथ ही, कृषि का भी इस काल में एक महत्वपूर्ण स्थान था। गाय की महत्ता 1. आर्थिक दृष्टिकोण गाय वैदिक समाज में मुख्य आर्थिक संसाधन मानी जाती थी। इसके दूध, गोबर और गोमूत्र का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता था: - **दूध**: गाय का दूध प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत था। इससे दही, घी और अन्य डेयरी उत्पाद बनाए जाते थे, जो आहार में महत्वपूर्ण थे। - **गोबर**: गाय का गोबर खेती में खाद के रूप में उपयोग किया जाता था। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक था और घरों में ईंधन के रूप में भी काम आता था। - **गोमूत्र**: इसे औषधीय गुणों वाला माना जाता था और इसका उपयोग कृषि में किया जाता था। 2. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्...