भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19/20/21/22 का अधिकार और समाप्ति
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भारतीय संविधान के भाग 3 के तहत अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है ।।
ChatGPT sai
अनुच्छेद 19: स्वतंत्रता का अधिकार
स्वतंत्रता का आसय संबंधों का आभाव है परंतु विधि का आभाव नहीं है क्योंकि विधि के आभाव मे स्वच्छन्दता होती है।
संविधान के अनुच्छेद 19के खंड (1) मे विभिन्न प्रकार के स्वातंत्रताओ का उल्लेख है जो केवल नागरिकों को उपलब्ध है जैसे _
- वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- शांति पूर्वक सभा करने की स्वतंत्रता
- संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता जिसमें सहकारी समूह बनाने की भी स्वतंत्रता 97वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया है
- भारत के भीतर स्वतंत्र रूप से कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता
- किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता (A) जनजातीय क्षेत्रों में यह अधिकार नहीं होगा (B)अनुच्छेद 19(1) में ही उल्लिखित संपत्ति के अर्जन और बिक्री का अधिकार दिया गया था जो 1978 के द्वारा हटा दिया था
- किसी भी पेशे, व्यापार, व्यवसाय या उद्यम को चुनने और करने की स्वतंत्रता
- प्रेस की स्वतंत्रता _लोकतंत्र में सत्ताधारी दल के आलोचना का अधिकर विपछी दलों को है और संसद में भी विपछी दल सरकार कि आलोचना करते हैं और यह मीडिया के द्वारा आम जनता तक पहुंचाया जाता है इसलिए लोकतंत्र में प्रेस के शासन को चौथा खंभा कहा जाता है इसके द्वारा शासन पर निगरानी स्थापित की जाती है प्रेस से जुड़ी प्रेस में लिखी निम्नलिखित समस्याएं विद्दमान हैं (a) वर्तमान में प्रेस एक आधार भी बन गया है (b) प्रेस के द्वारा मीडिया ट्रेल कि प्रवित्ती बढ़ रही है (c) प्रेस पर नियंत्रण के लिऐ प्रभावी संस्था का आभाव हैं ।
- स्वतंत्रता पर तार्किक प्रतिबंध __ संविधान के अनुच्छेद 19खंड (2) में उल्लेखित हैं जो मीडिया या प्रेस पर भी लागू होते हैं (A) संप्रभुता एव भारत की अखंडता (B)विदेशी राज्यो के सांथ मित्रतापूर्ण संबंध (C)लोकव्यवस्था (D)नैतिकता अथवा सदाचार (E) न्यायालय की अवमानना (F)हिंसा को बढ़ावा देना (G)मानहानि उपरोक्त प्रतिबंध लगाने कि शक्ति राज्य के पास है किंतु विधियां मनमानी स्वेच्छाचारी नहीं होंगी जिसके लिऐ इनका परिच्छन न्यायलय द्वारा किया जाता है।
- शोसल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ___वर्तमान विश्व में व्हाट्सएप फेसबुक ट्वीटर अभिवक्ति के माध्यम बन गए हैं जहां व्यक्ति अपनी राय दूसरो तक पहुंचाता है ओर इससे सांप्रदायिक हिंसा किसान आंदोलन जैसे क्षेत्र में देखा जा सकता है भारत विरोधी ताकते राष्ट्र के विरुद्ध डिजिटल वर्ड के लिऐ चुनौती बन गई है जिसे विनियमित करने के लिऐ आईटी एक्ट 2000 लाया गया है।
अनुच्छेद 20: अपराध और सजा से संरक्षण
यह अनुच्छेद किसी व्यक्ति के अपराध संबंधी अधिकारों को सुरक्षित करता है:
- भूतलक्षी अपराध: किसी व्यक्ति को ऐसे कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जा सकता जो उस समय कानूनन अपराध नहीं था।
- दोहरी सजा से सुरक्षा: किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकती यह अधिकार अमेरिकी विधि से लिया गया है जिसे double geopendency या दोहरा जोखिम कहा जाता है।__किन्तु किसी प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा दण्डित करने पर न्यायलय द्वारा दण्डित किया जायेगा क्योंकि प्रशासन का दण्ड दोहरे दण्ड में शामिल नहीं है।
- स्वयं के विरुद्ध साक्ष्य देने से मना करने का अधिकार: किसी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता___परंतु यह उल्लेखनीय है कि हाल में अपराधिक पहचान अधिनियम 2000 पारित किया गया जिसके अनुसार किसी दण्डित व्यक्ति के आंख के पुतली का निशान बाल्डसेंपल फिंगरप्रिंट लिया जा सकता है।
अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
यह अनुच्छेद कहता है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा वंचित नहीं किया जा सकता। यह अनुच्छेद जीवन के हर पहलू को कवर करता है और भारतीय न्यायपालिका ने इस अनुच्छेद का विस्तार कर इसे स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण आदि तक विस्तारित किया है।
1. न्यायपालिका द्वारा
गोपालनवाद मे कहा गया कि किसी व्यक्ति के शारीरिक अंगो पर हमला हो या मनमानी हिरासत में लिया जाय तो जीवन वा दैहिक स्वतंत्रता का उलंघन होगा और यह भी कहा कि अनुच्छेद 19 में विभिन्न प्रकार कि स्वतंत्रता है जबकि 21 मे दैहिक स्वतंत्रता है दोनो एक दूसरे से पृथक हैं।
2.1978मान्यकागंधीवाद में निर्णय को बदलते गोपालन्वाद को बदलते हुए न्यायलय ने कहा अनुच्छेद 21 में जीवन एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में 19 के सभी अधिकार शामिल हैं इसलिए 19_ 21 एक दूसरे के पूरक हैं।
अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी और हिरासत में अधिकार
यह अनुच्छेद गिरफ्तारी के दौरान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है अनुच्छेद 22 के खंड 4से7 तक निवारक नजरबंदी में रखे गए व्यक्तियों का उल्लेख है जिसके अनुसार व्यक्ति को नजरबंद के अधिकार बताए जाएंगे राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आधार बताने से इंकार भी किया जा सकता है
- किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
- गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर न्यायालय में पेश करना आवश्यक है।
- व्यक्ति को वकील रखने और उसके द्वारा परामर्श प्राप्त करने का अधिकार है।
- विशेष मामलों को छोड़कर, किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।_____________________________यदि किसी व्यक्ति को 3 महीने से ज्यादा नजरबंद करना है तो उच्चतम न्यायालय के न्यायधीस के अध्यक्षता वाली समिती द्वारा उसके मुद्दे पर विचार किया जाएगा इसके अनुमति के बाद ही किसी को नज़रबंद किया जा सकता है।
अधिकारों की समाप्ति:
1.इन अधिकारों को आपातकालीन स्थिति में निलंबित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान अनुच्छेद 19 के अधिकार स्थगित किए जा सकते हैं। अनुच्छेद 20 और 21 के अधिकार किसी भी स्थिति में समाप्त नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि ये मानवाधिकारों से संबंधित हैं।
यह अधिकार नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा देता है और समाज में स्वतंत्रता, सुरक्षा और न्याय का वातावरण बनाए रखने में मदद करता है।
2. अनुच्छेद 19.20.21.22 कि समाप्ति
(A) मानव अधिकार कार्यकर्ता इसे विधि के शासन के प्रतिकूल मानते हैं जिसके द्वारा न्यायालय के बजाय पुलिस ही व्यक्ति को दण्डित करती है जो अनुच्छेद 22 का उलंघन है।
(B) आशंका के आधार पर व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है जो अनुच्छेद 20का उलंघन है।
(C) और बंदी बनाएं जाने से अनुच्छेद 19_21स्वाभाविक रूप से प्रभावित होते हैं।
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