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ओशो आचार्य रजनीश

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ओशो: आचार्य रजनीश का साम्राज्य बनने और बिखरने की कहानी। ओशो रजनीश, जिन्हें "भगवान श्री रजनीश" और बाद में "ओशो" के नाम से जाना गया, एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु, विचारक और लेखक थे। उनका जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में हुआ था। उनका असली नाम "चंद्र मोहन जैन" था। बचपन से ही वे गहरे चिंतनशील और स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे, और उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परंपराओं पर गहरा प्रभाव डाला। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: ओशो’ का अर्थ है वो शख़्स जिसने अपने आपको सागर में विलीन कर लिया हो. उन्हें दुनिया से गए लगभग 33 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी उनकी लिखी किताबें बिक रही हैं, उनके वीडियो और ऑडियो सोशल मीडिया पर आज भी ख़ूब देखे-सुने जाते हैं। ओशो में लोगों की दिलचस्पी इसलिए भी जगी क्योंकि वो किसी परंपरा, दार्शनिक विचारधारा या धर्म का हिस्सा कभी नहीं रहे. 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश में जन्मे ओशो का असली नाम चंद्रमोहन जैन था। वसंत जोशी__ ओशो की जीवनी ‘द ल्यूमनस रेबेल लाइफ़ स्टोरी ऑफ़ अ मैवरिक मिस...

दिल्ली सल्तनत का दूसरा राजवंश खिलजी वंश (1290ई.से 1320ई.)

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  भारतीय इतिहास : खिलजी वंश:  दिल्ली सल्तनत का दूसरा राजवंश था. यह तुर्क-अफ़ग़ान वंश था जिसने 1290 से 1320 तक शासन किया. खिलजी वंश के बारे में कुछ खास बातें। जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296 ई.) जलालुद्दीन खिलजी ने खिलजी वंश की नींव रखी वह 70 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा। जलालुद्दीन ने केवल छह वर्ष की अल्प अवधि तक शासन किया। उसने बलबन द्वारा अपनाए कड़े नियमों को भी ढीला किया। हालाँकि जलालुद्दीन ने अपने प्रशासन में पूर्व कुलीनों को बरकरार रखा, किंतु  खिलजी के उदय ने महत्त्वपूर्ण पदों पर कुलीन वर्ग में गुलामाें के वर्चस्व को कम कर दिया। वह सल्तनत का पहला ऐसा सुल्तान था, जिसने विचार दिया कि शासन जनता के समर्थन से चलना चाहिये तथा चूँकि भारत में हिन्दू आबादी अधिक है, अतः यह सही मायने में इस्लामिक राज्य नहीं हो सकता। जलालुद्दीन खिलजी ने उदारता की नीति अपनाकर अभिजात्य वर्ग का समर्थन हासिल किया उसने कड़े दंड वाली नीति का त्याग किया यहाँ तक कि उन्हें भी कड़ा दंड नहीं दिया, जिन्होंने उसके खिलाफ विद्रोह किया था उसने न सिर्फ उन्हें क्षमादान दिया, बल्कि उनका विश्वास जीतने के लिये सम्मानित भी...

गुप्त राजवंश या गुप्त साम्राज्य

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प्राचीन भारत का एक भारतीय साम्राज्य था जिसने लगभग संपूर्ण उत्तर भारत  पर शासन किया,  इतिहासकारों द्वारा इस अवधि  को  भारत का स्वर्ण युग  माना जाता है। गुप्त काल 319ई.से550ई.तक: गुप्त साम्राज्य (चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) का विस्तार और विकास, गुप्त शासकों की शक्तिशाली और संगठित नीति के कारण संभव हुआ। उनकी विस्तार नीति मुख्य रूप से सैन्य विजय, विवाह संबंधों, कूटनीति और संस्कृति के प्रसार पर आधारित थी। यहाँ प्रमुख गुप्त शासकों और उनकी विस्तार नीतियों के बारे में जानकारी दी जा रही है। 1:  गुप्त कुंसाडों के सामंत थे इनके राजनीतिक व सैन्य व्यवस्था का प्रभाव गुप्तों पर भी पड़ा इस गुप्त साम्राज्य का संस्थापक श्री गुप्त को माना जाता है  2. चंद्रगुप्त प्रथम (319-335 ई.): राज्य विस्तार की नीति:  चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की नींव रखी और एक संगठित साम्राज्य की स्थापना की। उसने लिच्छवि राज्य की राजकुमारी कुमारादेवी से विवाह किया, जिसके द्वारा उसे महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक समर्थन मिला। इससे उत्पन्न पुत्र समुद्रगुप्त जिसे लिच्छवी दौहित कहा ...

एलन मस्क का evm पर बयान

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एलन मस्क का EVM (Electronic Voting Machine) पर बयान: एलन मस्क, जो अपने साहसिक विचारों और तकनीकी नवाचारों के लिए विश्वभर में मशहूर हैं, अक्सर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर भी अपनी राय जाहिर की, जो कि दुनिया भर में लोकतांत्रिक चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी साधन है। EVM का महत्व और विवाद: EVM का उपयोग भारत सहित कई देशों में चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, इस पर कई बार संदेह और विवाद खड़े हुए हैं, खासकर इसके सुरक्षा और हैकिंग से जुड़ी चिंताओं को लेकर। कई देशों में, राजनेताओं और आलोचकों द्वारा इसके साथ संभावित छेड़छाड़ की संभावना जताई गई है। मस्क का दृष्टिकोण: एलन मस्क, जो Tesla और SpaceX जैसी कंपनियों के संस्थापक हैं, ने अपने ट्विटर (अब X) हैंडल पर EVM और डिजिटल वोटिंग प्रणाली पर टिप्पणी की। मस्क का कहना है कि "कोई भी तकनीकी प्रणाली जिसे मनुष्य ने बनाया है, उसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता।" उनका यह बयान इस बात पर जोर ...

जस्टिन ट्रूडो ने नष्ट कर दिए भारत-कनाडा के रिश्ते

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  भारत कनाडा संबन्ध का क्या है पूरा मामला सम्बन्ध खराब होने पर किस किस क्षेत्र पर पड़ेगा प्रभाव : क्या है मामला? कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में लगाए गए आरोपों के बाद कनाडा और भारत के संबंध बिगड़ गए हैं। कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को इस मामले में 'पर्सन ऑफ इंटरेस्ट' बताया, जिसके बाद वहां उपस्थित सभी राजनयिकों को भारत ने वापस बुला लिया है। कनाडा से वापस भारत बुलाए गए उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा का घर वापसी पर बयान? ओटावा :  कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा भारत के वरिष्ठ डिप्लोमैट हैं, कनाडा से लौटने से पहले वर्मा ने कहा कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से उनका नाम जोड़ना अजीब है इसका कोई तुक नहीं है, ये सभी आरोप घरेलू राजनीति के लिए हैं उन्होंने कहा कि अगर कनाडा के पास सबूत है, तो सामने रखना चाहिए, कनाडा सरकार जो कर रही है, वह सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए है। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने के आरोप लगाए हैं, संजय वर्मा ने कहा है कि कनाड...

25 जून को मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस

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  भारतीय राजनीति1975 का आपातकाल और उसका प्रभाव: देश में 25 जून 1975 के दिन लगाये गए आपातकाल को लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटने वाला दिन बताया है। सरकार का कहना है कि यह दिन उन लोगों के योगदान की याद दिलाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल का अमानवीय दर्द झेला है, इसलिए इन दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा। क्या था पूरा मामला :    25 जून 1975 तत्कालीन राष्ट्रपति फाखरूद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शिफरीश देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जिसकी वजह से सारे कानून एक तरह से खत्म हो गए थे। हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में डाल गया, समाचार पत्रों पर भी सरकार का पहरा था ,जिससे मीडिया की आवाज को भी दबा दिया गए था, ये आपातकाल देश में 21 महीनों तक रहा। सभी विपक्षी दलों के नेताओं और सरकार के अन्य आलोचकों को गिरफ्तार किये जाने और सलाखों के पीछे भेज दिये जाने के बाद पूरा भारत सदमे की स्थिति में था आपातकाल की घोषणा के कुछ ही समय बाद, सिख नेतृत्व ने अमृतसर में बैठकों का आयोजन किया जहां उन्होंने “कांग्रेस की फासीवादी प्रवृत्ति” का विरोध करने का संकल्प किया। देश म...

अशोक अकबर दोनों में महान कौन और समन्वय क्या था ?

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AJR You said: अशोक अकबर दोनों में महान कौन था? ChatGPT said अशोक और अकबर दोनों ही इतिहास के महान शासक माने जाते हैं, लेकिन उनके महान होने के कारण और दृष्टिकोण कुछ भिन्न थे। दोनों ने अपने समय की सामाजिक और सांस्कृतिक धारणाओं को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अशोक द ग्रेट 304से 232 इशापूर्व तक । अशोक की महानता:   अशोक मौर्य वंश के सबसे महत्वपूर्ण सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और अहिंसा, करुणा और शांति की शिक्षा को फैलाया। धार्मिक  अशोक ने धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ ही अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता दिखाई। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और लोगों को धार्मिक सहनशीलता की शिक्षा दी। संस्कृति और समाज सुधार:  अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के आधार पर सामाजिक सुधार किए, जिसमें शांति और सामाजिक कल्याण की भावना थी। उन्होंने जनकल्याण के कार्य किए जैसे अस्पताल, सड़कें, कुएं, आदि। अकबर 1542से 1605ई. तक अकबर की महानता: धार्मिक समन्वय (सुलह-ए-कुल):   अकबर मुगल सम्राट थे जिन्होंने धर्म के मामले में सहिष्णुता की नीति अपनाई। उन्हों...