25 जून को मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस

 
भारतीय राजनीति1975 का आपातकाल और उसका प्रभाव:

देश में 25 जून 1975 के दिन लगाये गए आपातकाल को लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटने वाला दिन बताया है। सरकार का कहना है कि यह दिन उन लोगों के योगदान की याद दिलाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल का अमानवीय दर्द झेला है, इसलिए इन दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

क्या था पूरा मामला :   

25 जून 1975 तत्कालीन राष्ट्रपति फाखरूद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शिफरीश देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जिसकी वजह से सारे कानून एक तरह से खत्म हो गए थे। हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में डाल गया, समाचार पत्रों पर भी सरकार का पहरा था ,जिससे मीडिया की आवाज को भी दबा दिया गए था, ये आपातकाल देश में 21 महीनों तक रहा।


सभी विपक्षी दलों के नेताओं और सरकार के अन्य आलोचकों को गिरफ्तार किये जाने और सलाखों के पीछे भेज दिये जाने के बाद पूरा भारत सदमे की स्थिति में था आपातकाल की घोषणा के कुछ ही समय बाद, सिख नेतृत्व ने अमृतसर में बैठकों का आयोजन किया जहां उन्होंने “कांग्रेस की फासीवादी प्रवृत्ति” का विरोध करने का संकल्प किया। देश में पहले जनविरोध का आयोजन अकाली दल ने किया था जिसे “लोकतंत्र की रक्षा का अभियान” के रूप में जाना जाता है। इसे 9 जुलाई को अमृतसर में शुरू किया गया था।

क्यों लगाया गया था आपातकाल?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1975 में हुए आम चुनावों में हुए धांधली की शिकायत पर इंदिरा गाँधी को कुसूरवार ठहराया था. इसकी शिकायत राज नारायण ने की थी. इस फैसले में अदालत ने इंदिरा गाँधी को छह सालों तक किसी भी पद पर आसीन होने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. राज नारायण ने येशिकायत की थी की इंदिरा गाँधी ने चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया था, जो उस समय तय सीमा थी पैसे खर्च करने की चुनावो में उससे कहीं ज्यादा पैसे खर्च किये और मतदाताओं को लुभाने के लिए गलत तरह से पैसे और अपने पॉवर का इस्तेमाल किया जिसे कोर्ट ने सही माना मगर इस फैसले को इंदिरा गाँधी ने मानाने से इनकार कर दिया और वो इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देने की घोषणा की और 26 जून के दिन उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के माध्यम से देश एन आपातकाल की घोषणा कर दी आकाशवाणी में प्रसारित देश के नाम संदेश में उन्होंने कहा की “जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी.”।

किसने लगाया था आपातकाल?

25 जून 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फाखरूद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शिफरीश देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी जो 21 महीने तक लागु रहा।

आपातकल के बाद बनी थी पहली गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी 

आपातकाल लागू करने के लगभग दो साल बाद विरोध की लहर तेज़ होती देख प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी चुनाव में आपातकाल लागू करने का फ़ैसला कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ। ख़ुद इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गईं और जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने  संसद में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 350 से घट कर 153 पर सिमट गई और 30 वर्षों के बाद केंद्र में किसी ग़ैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ’25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और भारत के संविधान को कैसे कुचला गया था ये भारत के इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया एक काला दौर था।

संविधान हत्या दिवस की घोषणा किसने की?

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने  से इस बात की जानकारी दी है की, 25 जून के दिन देश में संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा।



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