पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी की आंतरिक संरचना/ internal structure of Earth
1घनत्व पर आधारित अध्ययन
2तापमान पर आधारित अध्ययन
3 दाब आधारित अध्ययन और
4भूकंप शास्त्र पर आधारित अध्ययन?
पृथ्वी की सतह पर निर्मित विभिन्न उच्चावच वाली स्थलाकृति की उत्पत्ति से यह स्पष्ट होता है कि सतह अस्थाई और परिवर्तनशीलहै पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न होने वाले अंतरजात बल के द्वारा सतह पर निर्मित स्थल स्वरूपों की उत्पत्ति के साथ होने वाली वह बहुत की घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए पृथ्वी के आंतरिक संरचना का अध्ययन आवश्यक है।
घनत्व पर आधारित अध्ययन:
1__पृथ्वी का आंतरिक भाग वालों के लिए दृश्यमन नहीं है इसलिए भूगर्भ से संबंधित अब तक उपलब्ध सभी जानकारियां अप्रत्यक्ष परमाणु पर आधारित है सर्वप्रथम घनत्व पर आधारित अध्ययन के द्वारा पृथ्वी के औसत घनत्व (5.5 gm/cm) और क्रेस्ट के औसत घनत्व ( 2.8gm/cm) क्रेस्ट के औसत घनत्व आकलन के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया कि पृथ्वी के आंतरिक भाग का घनत्व पृथ्वी की औसत घनत्व से अधिक है ।
घनत्व के होने वाले विधि के संदर्भ में दो मत दिए गए जिसमें प्रथम मत के अनुसार भूगर्भ की रासायनिक संगठन और संरचना एक समान होने के कारण सात से अंदर की परतों में जाने पर दाब में वृद्धि के साथ आयतन में आने वाली कमी के कारण घनत्व वृद्धि होती है।
वही द्वितीयमत के अनुसार घनत्व में वृद्धि केवल दाब जनित नहीं हो सकती बल्कि सतह से अंदर की परतों में जाने पर तत्वों के द्रव्यमान में होने वाले वृद्धि के कारण घनत्व में वृद्धि होती है।
पृथ्वी के केंद्र के चुंबकीय गुण उल्का पिंड की भूगर्भिक संगठन और संरचना के असमानता के साथ पृथ्वी की दृढ़ता की तुलना इस्पात से करते हुए द्वितीय मत क्यों सरसों पर प्रभावित करने का प्रयास किया गया इस प्रकार द्वितीय मत के अनुसार सात से अंदर की ओर जाने पर विभिन्न रासायनिक संरचना और संगठन से निर्मित परसों के घनत्व में वृद्धि होती है घनत्व में होने वाले वृद्धि के आधार पर ही पृथ्वी के आंतरिक भाग को सियाल सीमा और नीफे से निर्मित परतों को सीमांकित किया गया।
तापमान पर आधारित अध्ययन :
2__ तापमान पर आधारित अध्ययन के अनुसार पृथ्वी के आंतरिक भाग में रेडियो सक्रिय तत्वों के विघटन के कारण प्रत्येक 100 मीटर की गहराई में जाने पर लगभग 2 से 3 डिग्री सेल्सियस के दर से तापमान में वृद्धि होती है।
दाब पर आधारित अध्ययन:
3__ऐसी स्थिति में लगभग 90 किमी की गहराई के बाद तापमान इतना अधिक हो जाएगा जिससे कोई पदार्थ ठोस अवस्था में नहीं रह सकता वही दाब पर आधारित अध्ययन के अनुसार किसी भी पदार्थ के गलनांक और क्वथनांक का दाब से सीधा संबंध होता है इसलिए सतह से अंदर की परतों में जाने पर दाब में वृद्धि के कारण अधिक तापमान पर भी कोई पदार्थ ठोस अवस्था में रह सकता है।
इस प्रकार दाब पर आधारित अध्ययन के अनुसार पृथ्वी ठोस पदार्थ से निर्मित एक दृढ़पिंड के समान है।
जब घनत्व तापमान और दाब पर आधारित अध्ययन के द्वारा पृथ्वी के आंतरिक भाग की भौतिक अवस्था के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई तब भूकंप शास्त्र पर आधारित अध्ययन के द्वारा पृथ्वी की आंतरिक संरचना का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया।
भूकंप शास्त्र पर आधारित अध्ययन:
4__भूकंप शास्त्र पर आधारित अध्ययन के अनुसार भूकंप की उत्पत्ति p S और L तरंगों के रूप में होती है भूकंप की तरंगों में p और s तरंगे पृथ्वी के आंतरिक परतों में गमन करती है इन तरंगों की सहायता से पृथ्वी की आंतरिक संरचना का वर्णन या अध्ययन किया जा सकता है क्योंकि भूकंप की तरंगों की गति का पदार्थ के घनत्व से सीधा संबंध होता है इसलिए सात से अंदर की परतों में जाने पर तरंगों की गति में होने वाले वृद्धि के कारण यह निष्कर्ष निकाला गया कि पृथ्वी की आंतरिक भाग का घनत्व ऊपर की परतों से अधिक है जहां सामान रासायनिक संगठन और संरचना से निर्मित परतों में भूकंप भी तरंगों का मार्ग सीधा होता है वही पृथ्वी के आंतरिक भाग में भूकंप की तरंगों का मार्ग वक्राकार होने के कारण यह प्रमाणित हुआ की सतह से अंदर की ओर जाने पर विभिन्न रासायनिक संगठन और संरचना से निर्मित परतों के घनत्व में वृद्धि होती है।
P तरंगे जहां सभी माध्यम में गमन करती हैं वही s तरंगो के द्वारा केवल ठोस पदार्थ निर्मित परतों में कंपन होता है सात से गुटेनबर्ग और आसानतत्य तक p तरंगो के साथ s तरंगों के द्वारा होने वाले कंपन के कारण यह प्रमाणित हुआ कि क्रेस्ट और मेंटल के पदार्थ ठोस अवस्था में हैं वही गुटेनबर्ग और आसानतत्व के बाद s तरंग के विलुप्त हो जाने के कारण यह भी प्रमाणित हुआ कि बाह्य कोर के पदार्थ तरल अवस्था में है वह कर में प्रवेश करने के बाद जहां p तरंग की की गति में वृद्धि का डर कम हो जाता है वही आंतरिक कर में प्रवेश करते ही p तरंग की गति में होने वाली आकस्मिक वृद्धि के कारण यह निष्कर्ष निकाला गया की आंतरिक कर के पदार्थ अत्यधिक दबाव के कारण जमी हुई या ठोस अवस्था में है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार पृथ्वी की आंतरिक संरचना से संबंधित किए गए अब तक के सभी अध्ययनों में भूकंप शास्त्र पर आधारित अध्ययन के द्वारा भूगर्भ की भौतिक और रासायनिक विशेषताओं का वैज्ञानिक या तार्किक विश्लेषण संभव है
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